रात का अंधेरा चारो तरफ फैला हुआ था और रात के इसी पहर एक घर के कमरे में एक लड़की को बेदर्दी से कुर्सी पर बाँधा गया था।
टिप टिप करके खून की बूंदे उसके चेहरे से टपक कर फर्श पर गिर रही थी जिसकी वजह से पूरा फर्श लाल हो गया था।
लेकिन अब खून सूख चुका था। उसका चेहरा सूजा हुआ था और उसकी गर्दन पर चाकू से कट लगा हुआ था।
उसके बाल बिखरे हुए थे जैसे उसे बालो से पकड़ कर घसीटा गया था।
उसकी हालत देखने मे बहोत खौफनाक लग रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसके जिस्म में अब जान ही नही रही।
अचानक उस लड़की की बॉडी में थोड़ी हलचल हुई। उसने अपनी सूजी हुई आंखों को खोला और अपने हाथ मे लिए हुए शीशे से रस्सी को काटने लगी।
बाहर से आती आवाज़ों को सुनकर वोह फिर अपनी पहली वाली हालात में चली गयी। जब आवाज़ें आनी बंद हो गयी वोह फिर रस्सी को काटने लगी।
रस्सी खोलने के बाद वोह दरवाज़े के पास गई और दरवाज़े को खोल कर इधर उधर देखने लगी। यह देख कर की बाहर कोई नही है वोह आहिस्ता आहिस्ता कदम उठाते हुए ऊपर की तरफ चली गयी।
वोह ऊपर के फ्लोर के राइट साइड के कार्नर वाले रूम में चली गयी और अलमारी से सारे कपड़े निकाल कर बाहर फेंकने लगी। सारे कपड़े बहार निकलने के बाद उसे वहां एक बटन नज़र आई। उसने बटन को दबाया तो वहां से एक सेफ बाहर आया उसने पासवर्ड डाल कर सेफ को ओपन किया और अपना पासपोर्ट और लिफाफा निकाल कर एक जैकेट पहेन कर वहां से निकल कर बाकलनी से पाईप का सहारा ले कर नीचे उतरने लगी और तभी उसका पैर फिसल गया और वोह.........
.............3 साल पहले....…....
लखनऊ, इंडिया........
नवाब विला:
"माहेरा आप के पापा आपको बुला रहे है उन्हें आपसे एक ज़रूरी बात करनी है।" (आरज़ू बेगम माहेरा की मॉम) उसके कमरे में आते हुए कहा।.....
माहेरा जो अभी नहा कर निकली थी अपनी मॉम की तरफ देखते हुए बोली:"बस पांच मिनट मॉम में अपने बाल सूखा कर आती हु।"
"ठीक है जल्दी आ जाना फिर तुम्हारे पापा को कहि जाना है।" आरज़ू बेगम ने कहा और दिल ही दिल मे अपनी बेटी की नज़र उतारी जिसमे उनकी जान बस्ती थी और नीचे चली गयी।
वोह थी भी इतनी प्यारी और मनमोहिनी सी उसके काले घने कंधे तक आते बाल, दूध सी सफेद उसकी रंगत, नीली काँच सी आंखे उस पर उठती गिरती घनी पलके, छोटी सी नाक...........और उसमें क़यामत छोटी सी नोज़ पिन, भरे भरे होंठ और होंठो के ऊपर छोटा सा तिल, उसके गालो पर पड़ते डिंपल उसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते थे।
माहेरा ने जल्दी से अपने बाल सुखाये और सीढ़ियों से नीचे उतर ही रही थी कि उसे उसके कान में उसके भाईयो की आवाज़ गूंजी जो कह रहे थे।
"बा अदब मोहतरमा माहेरा अपने कमरे से निकल कर तशरीफ़ का टोकरा उठा कर लायी है उनके एज़ाज़ में तालिया।"
उनकी बातों को सुनकर माहेरा के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
...........
माहेरा के दो भाई थे शाहिद और ज़ाहिद जो कि जुड़वा थे। वोह दोनो उससे चार साल छोटे थे।
"पापा आप ने मुझे बुलाया क्या कुछ काम था?" माहेरा उनके सामने बैठते हुए बोली।
"हु,,,,,,,मुझे आप सबसे एक ज़रूरी बात करनी है उम्मीद है आप लोग को कोई इशू नही होगा।" ज़ाकिर साहब ने माहेरा की तरफ देखते हुए कहा।
उनके लहजे में संजीदगी देख कर उन्हें कुछ गलत होने का अहसास हुआ।.................
मैं चाहता हु की..............
उनकी अगली बात ने सबको शॉक में डाल दिया।
..............
इटली, रोम:
ब्लैक रोज मेंशन:
"सर मेंशन पर हमला हुआ है।"
रामिश माज़ के स्टडी रूम में दाखिल होते हुए कहा।
माज़ जो कॉन्फ्रेंस कॉल पर बात कर रहा था उसको देख कर बस सिर हिला दिया।
"Ce ne occuperemo di nuovo Ho un lavoro da fare Addio
signore"
"(हम दोबारा इस डील के बारे में बात करेंगे, मुझे एक ज़रूरी काम करना है। गुड बाये जेंटलमैन)"
माज़ ने कहते साथ ही लैपटॉप बंद किया और टेबल के नीचे से एक्स्ट्रा गन निकाल कर अपनी कोट के अंदर रख कर बाहर की तरफ जाने लगा।
"किस तरफ से हमला हुआ है रामिश?"
माज़ ने अपने साथ चलते हुए अपने राइट हैंड रामिश से पूछा जो उसके साथ ही बाहर जा रहा था।
"सर फ्रंट साइड से हमला हुआ है।"
उसने अपने आस पास देखते हुए तेज़ी से जवाब दिया।
"ह्म्म्म, तुम्हारे हिसाब से कितने लोग है?"
माज़ ने अपनी गन चेक करते हुए कहा।
"सर दो सौ के करीब है।"
वोह लोग कॉरिडोर से बाहर जा ही रहे थे कि तभी उनके पीछे से दो आदमियों ने हमला किया और उन पर गोली चलानी शुरू कर दी।
एक गोली रामिश के कंधे को चीरते हुए गुज़री, माज़ ने उसे पकड़ कर दीवार के पीछे लगाया और उन आदमियों में से एक दिल पर गोली मारी और एक गोली दूसरे आदमी की गर्दन को छूते हुए गुज़री। वोह अपनी गर्दन पकड़ कर दीवार के पीछे छुप गया। उस आदमी ने दोबारा उन पर गोली चलानी चाही तो माज़ ने सीधा उसके सिर में गोली मार दी।
माज़ कॉरिडोर से जल्दी से बाहर निकल ही रहा था तभी उसे रामिश की आवाज़ आयी।
"सर मैम घर पर सो रही है।"
रामिश ने जल्दी से कहा।
माज़ जो कॉरिडोर से बाहर जा रहा था उसकी बात सुनकर अंदर की तरफ जाने लगा। यह एक कॉड वर्ड था जिसका मतलब था उसकी मॉम आज घर पर है।
वोह तेज़ी से कॉरिडोर में राइट साइड मुड कर कमरे में चला गया। जैसे ही वोह अंदर गया एक आदमी ने चाकू से उस पर वार किया माज़ ने उसका हाथ पकड़ लिया लेकिन उस आदमी ने दूसरे हाथ से उर पर वार किया और माज़ कि बायीं आंखों के ऊपर एक कट लग गया।
माज़ ने उसके पेट मे लात मारी और उसके चाकू वाले हाथ को दूसरी तरफ मोड़ दिया और अपने पैंट से गन निकाल कर उसके पैर पर गोली मार दी, जिससे वोह ज़मीन पर गिर गया। माज़ ने उसके सिर पर गन से मार कर उसे बेहोश कर दिया।
माज़ ने अपनी बाज़ू से आंखों के ऊपर से गिरते हुए खून को साफ किया और अपनी मॉम को ढूंढने लगा।
उसकी मॉम उसे बेड के दूसरी तरफ ज़मीन पर गिरी हुई मिली उन के सिर और पेट से खून निकल रहा था।
माज़ भागते हुए उनके पास गया और उन्हें बाहों में उठाये बाहर जाने लगा लेकिन तब तक बहोत देर हो चुकी थी।
"सर हम ने सब कुछ कंट्रोल कर लिया है।"
रामिश कमरे में एंटर होते हुए बोला।
रामिश जो अभी कमरे मे आया था माज़ को बैठे देख कर उसके पास आया।
"सर हमें मैम को हॉस्पिटल ले कर जाना चाहिए!"
रामिश ने माज़ को उसकी मॉम के करीब बैठे देख कर कहा।
"सबको बता दो मिसेज़ शेर खान अब नही रही।"
माज़ ने बोझल आवाज़ में कहा।
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वो जो दूसरे शहर से मीटिंग करके वापस अपने मेंशन जा रहा था..........
ब्लैक कलर का अरमानी सूट पहने वोह आदमी गाड़ी की बैकसीट पर टेक लगाए आंखे मूंदे बैठा था। गाड़ी में बिल्कुल खामोशी थी।
उसके फ़ोन पर बजने वाली रिंग ने उस खामोशी को तोड़ा। उस आदमी ने अपनी आंखें खोली और स्क्रीन पर नम्बर देखकर कॉल पिक की।
दूसरी तरफ से रामिश की आवाज़ आयी।
"मास्टर ब्लैक रोज़ मेंशन पर कुछ देर पहले हमला हुआ था और इस हमले में मैम को मार दिया गया है।"
वोह जो बड़े आराम से रामिश की बात सुन रहा था उसकी आखरी बात सुनकर उसका दिल रुक सा गया।
वोह शेर खान जो बड़ी बड़ी मुश्किलों का सामना करता था अपनी बीवी की मौत की खबर सुनकर उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसका दिल कुचल दिया हो।
"मास्टर?" रामिश ने जवाब न पा कर फिर से बोला।
वोह जो अपनी सोचो में गुम था फौरन खुद को संभालते हुए रामिश से बोला:"मेरे आने से पहले जिसने मेरी बीवी को मारा है मुझे स्पेशल सेल में चाहिए और इस हमले के पीछे जो कोई भी है मुझे उसकी सारी डिटेल्स चाहिए।"
उन्होंने कोल्ड आवाज़ में रामिश को आर्डर दिया और फ़ोन कट करके वापस आंख बंद करके सीट पर टेक लगाए अपनी बीवी के साथ गुज़ारे पलों के बारे में सोचने लगे।
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रेसिंग ट्रैक, रोम:
यहां हर तरफ अमीरजादे ही दिखाई दे रहे थे जो अपनी कार के साथ रेसिंग ट्रैक पर मौजूद थे। उनके आस पास लड़के लड़कियो का रश था।
उसी रेसिंग ट्रैक पर एक लड़का अपनी महेंगी गाड़ी में बैठा सिगरेट का आखिरी कश ले रहा था। उसके आस पास लड़कियों का रश था।
वोह सब चीज़ों से बेखबर अपनी गाड़ी में बैठा रेस शुरू होने का इंतज़ार कर रहा था और रेस जो शुरू होने का नाम ही नही ले रही थी उससे उकता कर वोह सिगरेट पीने लगा था।
उसने सिगरेट का आखिरी कश लिया और खिड़की से बाहर फेंक दिया।
तभी माइक में रेस शुरू होने की अनाउंसमेंट होने लगी।
और साथ ही रेस शुरू हो गयी।
वोह तेज़ी से अपनी कार को चला रहा था लेकिन एक नीली कार उसे बार बार आगे जाने से रोक रही थी।
उस लड़के के अपनी कार से नीली कार को टक्कर मारी, वोह शायद इसके लिए तैयार नही था इसीलिए उसे डबल क्रोस करके आगे निकल गया।
लेकिन उसने नीली कार ने उसे टक्कर मारी और आगे निकल गयी।
वोह जो नीली कार से आगे जाने की कोशिश कर रहा था अचानक से उसका फ़ोन बजने लगा। उसने अपने कान में लगा ब्लूटूथ न किया।
फोन पर उसने जो सुना उसे उसकी उम्मीद नही थी। अचानक उसकी गाड़ी आउट ऑफ कंट्रोल हो गयी और वोह.............
..................
एक घंटे बाद:
माज़ अपनी माँ के कमरे से निकल कर अपने रूम में गया और तीस मिनट शावर लेने के बाद आईने के सामने खड़ा हो कर अपने आंखों के ऊपर लगे कट को देखने लगा, जो अब हर वक़्त उसे उसकी मॉम की मौत याद दिलाएगा।
उसने ड्रावर से फर्स्टएड बॉक्स निकाला और अपने ज़ख्म को साफ करने के बाद उसने बॉक्स से सुई धागा निकाला और अपने ज़ख्म को सिलने लगा। उसके चेहरे पर इस वक़्त कोई एक्सप्रेशन नही था।
अपने ज़ख़्म सीने के बाद वोह बॉक्स को वापस उसी जगह रख कर बाहर आया।
उसकी वक़्त दरवाज़े पर नॉक करके रामिश अंदर आया।
"सर मास्टर और सलमान आ गए है और वोह नीचे स्टडी रूम में आपका इंतेज़ार कर रहे है।" रामिश ने माज़ से कहा।
"हम्म, मैं आ रहा हु और तुम्हारे कंधे का ज़ख्म कैसा है?"
माज़ ने उसे जवाब देने के साथ ही उसके ज़ख्म के बारे में पूछा।
"जी सर अब ठीक है।" रामिश ने जवाब दिया।
"और जो लोग बच गए थे उन्हें तुमने टॉर्चर सेल में भेज दिया?" माज़ ने उन पर हमला करने वालो के बारे में पूछा।
"जी सर और जो मैम के रूम में मिला था उसे हमने स्पेशल सेल में भेज दिया है।.......और हमारे तीस आदमी ज़ख्मी हुए है और दस उसी वक़्त मर गए थे।" रामिश ने उसे डिटेल्स में बताया।
"हम्म" माज़ ने सिर हिलाया जिसका मतलब साफ था कि अब तुम जा सकते हो।
रामिश उसका मतलब समझ कर वहां से चला गया।
माज़ भी अपनी शर्ट पहेन कर कमरे से बाहर चला गया।
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"माहेरा मैं चाहता हु की तुम इटली से ग्रेजुएशन करो।"
ज़ाकिर साहब ने सबको देख कर फिर माहेरा की तरफ देख कर आगे कहा:"और मुझे उम्मीद है तुम मना नही करोगी।"
ज़ाकिर साहब जल्द से जल्द माहेरा को इंडिया से बाहर भेजना चाहते थे। वोह जानते थे उनकी बेटी जितनी मासूम है उतनी ही चालाक और निडर है।
उनकी बात सुनकर सब शोकड हो गए क्योंकि सब जानते थे इस घर मे सबकी जान बस माहेरा में ही बस्ती थी।
"आप यह क्या कह रहे है, मैं अपनी बेटी को कहि भी नही भेजूंगी।" सब से पहले आरज़ू बेगम होश में आ कर बोली।
"मैं चाहता हु माहेरा इस बात का फैसला खुद करे बेगम! क्या आपको लगता है कि मैं अपने जिगर के टुकड़े के लिए कुछ गलत फैसला करूँगा।" ज़ाकिर साहब ने माहेरा को देखते हुए कहा।
माहेरा ने पहले अपने पापा की तरफ देखा जिन्होंने उसकी हर ख्वाहिश पूरी की थी और आज पहेली बार उससे कुछ मांग रहे थे और फिर अपनी मॉम की तरफ देखा जो उसके इनकार के इंतेज़ार में थी, फिर अपने भाइयों की तरफ देख जिनकी नज़रे उस पर ही टिकी थी।
कहानी जारी है......